मैंने मौत को मात दी है!


आपका दिल पसीज जाएगा। जब आप दो टुकड़ों में कटे शरीर के साथ सालों तक जिंदगी की जंग में जूझते इस शक्स के बारे में जानेंगे। हादसों और हकीकत के बीच इतनी कम दूरी शायद ही किसी को देखने को मिलती है। ...अंत के बाद जिंदगी कैसे शुरू होती है, हम सब इस शक्स से सीख सकते हैं। मौत को मात देकर भी जिंदादिली की मिसाल बने पिंग शुइलिन के दर्द और हादसों की कहानी, उन्हीं की जुबानी-

मैंने हादसों में जिंदगी को जिया है। बेहद करीब से जाना है कि जिंदगी जब दर्द देती है, तो उसे उठाने की ताकत भी देती है। चीन के हुनान में मेरा जन्म हुआ। रोजी-रोटी चलाने के लिए मैंने शेनजेन की एक आटा चक्की में नौकरी शुरू कर दी। उस दिन की पूरी यादें मेंरी याद्दाश्त में नहीं हैं, जब एक सड़क हादसे में मेरा शरीर ट्रक के नीचे दबने से दो टुकड़ों में कट गया था। मैंने अपने दोनों पांव खो दिए थे। मैं नहीं जानता की बेहोशी की हालत में मुझे किसने अस्पताल पहुंचाया, लेकिन शरीर के उन चिथड़े हो चुके अंगों के बावजूद आज मैं जिंदा हूँ।

उस हादसे ने मुझे एक सामान्य कद काठी से मात्र 78 सेंटीमीटर यानी अढ़ाई फुट का ही छोड़ा। चाइना के रीहैबिलिटेशन रिसर्च सेंटर के 20 चिकित्सा वैज्ञानिकों के एक दल की छोटी सी आशा ने मुझे मौत से लडऩे की ताकत दी। मैं सालों तक बिस्तर में जिंदगी और मौत के बीच जूझता रहा। जब मैं बचने की स्थिति में नहीं था, डॉक्टरों ने अपना पूरा दम लगा दिया मुझे जिंदा रखने के लिए। मेरे सिर की चमड़ी उतार दी गई और उससे मेरे कटे धड़ को सिला गया। इन्हीं डॉक्टरों ने मुझे प्लास्टिक का बना शरीर दिया, जो दिखने में अंडे जैसा है और मेरे दोनों कृत्रिम पैर जोड़े गए। हादसे के बाद होश आने से लेकर आज तक मैंने सिर्फ यही सोचा है कि एक दिन मैं सामान्य होकर चलंूगा, दौडूंगा। वह सब करूंगा, जो पहले अच्छा-भला शरीर होते भी न कर पाया।

चीन के ही 20 डॉक्टरों ने मुझे मौत का सामना करने की ताकत दी। उन्होंने इस उम्मीद को सालों तक कभी खत्म नहीं होने दिया कि मैं एक दिन फिर से चल पाऊंगा। मेरे बेटे और पत्नी ने मुझे फिर से उठने में जितना सहयोग किया, कोई दूसरा नहीं कर सकता। वे दोनों मुझे हर कदम पर प्रोत्साहित करते हैं। पैरों पर चलने का क्या सुकून होता है, एक बार फिर मैंने महसूस किया। यह करिश्मा है। मेरे लिए यह बेहद रोमांचक भी है कि अब मैं अपने दांत खुद साफ करता हूँ। अपना मुंह खुद धोता हूँ और अपने हाथों को और मजबूत बनाने के लिए वर्जिश करता हूँ। सबकी तरह मैं भी अपने पैरों में स्पोट्र्स शूज पहन सकता हूँ।

मेरी तस्वीर देखकर ही आप समझ जाएंगे कि मौत ने मुझे हराने के लिए मेरा कम पीछा नहीं किया, पर जिंदगी के लिए मेरा संघर्ष चलता रहेगा। भोजन करने के लिए जब एक ही हाथ हिला पाता हूँ, तो बहुत अटपटा लगता है, क्योंकि दूसरे हाथ से मुझे अपने शरीर का बैलेंस बनाना होता है। वैसे भी भोजन करना ही मेरे लिए मुश्किल भरा होता है। अब मैं अपना अखबार और पत्र-पत्रिकाएं बेचने का व्यापार शुरू करना चाहता हूँ। यह जीवन अनमोल है, इसे सार्थक बनाने के लिए अपने दम पर बहुत कुछ करने की इच्छा है। एक बार फिर, नए जोश और नई उमंग के साथ।
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10 comments:

राजीव तनेजा said...

इनके साहस को नमन

Anonymous said...

ऐसे लोगों का यही ज़ज्बा उन्हें भीड़ से अलग बनाता है.... इनके साहस को नमन

Astrologer Sidharth said...

यही है जज्‍बा...

एक दिन ये अपना सपना पूरा कर पाएं यही प्रार्थना है भगवान से।

Udan Tashtari said...

साधुवाद!!

Anonymous said...

जबर्दस्त इच्छाशक्ति हो तभी ऐसा हो पाता है
जुझारूपन को नमन

बवाल said...

साहब ये तो मात को मौत देने वाली बात है।

वाणी गीत said...

जीते जी मुर्दा जिस्मों को जोश में भर दिया होगा इस पोस्ट ने ...जीवन जीने की इस अदम्य लालसा और जोश को शत शत नमन ..!!

Publisher said...

comment by mail :-

Hi Praveen,

Nice to read your write-ups. I have a point to make, if you and Rajasthan Patrika do a holy job for rajasthan, the state will remember you in time to come, and I am sure it is possible. ......Come out with a good editorial or write-up so that Vasundra Madam takes decision to she her way out. This is the time she can detach from BJP and give a good and Honourable regional party to RAJASTHAN with or without Jaswant Singh. In the era of regional parties dominating and at times proves to be king makers at centre, Rajasthan can gain substantially. If we see the past smallest of the state could gain through this. Change being requirement of time, this will possibly be appreciated by JANTA of Rajasthan. No doubt she did good job while she was PM but she could convert it into votes (possibly because of BJP). If she has the force and capability to take right action at right time, she should not make the mistake made by Atal ji "Right man in Wrong party. so please do come out with some related article to change her mind and support her take a decision.

Regards
Commander R. Punia
mail2punia@yahoo.co.in

शशांक शुक्ला said...

गजब की खबर

डॉ.भूपेन्द्र कुमार सिंह said...

bhai ji,gazab ki khabar laye aap .Dil bhi dahal gaya aur sahas bhi mila ki jindagi har hal mey muskura kar chalte jane ka naam hai.
aapko mera hardik dhanyavad,likhte rahiye ki jeena bahut jaroori hai./
aapka hi ek saathi,
Dr.bhoopendra Singh